किसी चीज़ का परम आदेश उसकी अनिवार्यता को दर्शाता है, तो फिर जब साहिबे शरीअत (नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने स्पष्ट रूप से बयान कर दिया कि एक ऐसे बन्दे के लिए, जो अंधा, दूर घर वाला, जिस का मार्गदर्शक उस के उपयुक्त नहीं, जमाअत की नमाज़ से पीछे रहने की कोई रूख्सत नहीं है, तो फिर अनिवार्य क्यों नहीं होगा।